Radha Krishna Sevon Mui

Song Name: Radha Krsna Sevon Mui
Official Name: Sri Rupa Rati Manjaryah Vijnaptih Song 1
(Prayers to Sri Rupa Manjari and Sri Rati Manjari)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

rādhā-kṛṣṇa-sevon muñi jīvane maraṇe
taṅra sthān tara līla dekho rātri dine (1)

ye sthāne ye līlā kare yugala-kiśora
sakhīra sanginī haiye taṅhe haṅa bhora (2)

śrī-rūpa-mañjarī-pada sevoṅ niravadhi
taṅra pāda-padma mora mantra mahauṣadhi (3)

śri-rati-mañjarī devī more kara dayā
anukṣaṇa deha tuyā pāda-padma-chaya (4)

śrī-rāsa-mañjarī devī kara abadhāna
anukṣaṇa deha tuyā pāda-padma-dhyāna (5)

vṛndāvane nitya nitya yugala-vilāsa
prārthanā karaye sadā narottama dāsa (6)

I will serve Śrī Śrī Rādhā and Krsna during this life and after death, and see Their places of pastimes in Vrndāvana day and night.

I will see various pastimes performed by the youthful Divine Couple in Vrndāvana, being a companion of the sakhīs.

I will constantly serve the lotus feet of Śrī Rūpa Mañjarī. Her lotus feet are my only mantra and my great medicinal herb.

O Śrī Ratī Mañjarī, O divine goddess, please be merciful to me. Please give me the shelter of your lotus feet.

O Śrī Rasa Mañjarī, O divine goddess, glance mercifully towards me. Let my mind meditate on your lotus feet eternally.

Narottama dāsa is always praying to be able to experience newer and newer pastimes of Rādhā and Krsna in Vrndāvana.

শ্রীরূপরতিমঞ্জর্য্যোঃ বিজ্ঞপ্তিঃ।

রাধা কৃষ্ণ ভজোঁ মঞি জীবনে-মরণে।
তাঁর স্থানে তাঁর লীলা দেখোঁ রাত্রিদিনে।।

যে স্থানে যে লীলা করেন যুগলকিশোর।
সখীর সঙ্গিনী হয়ে তাহে হঙ ভোর।।

শ্রীরূপ মঞ্জরী দেবি ! মোরে কর দয়া।
অনুক্ষণ দেহ তুয়া পাদপদ্ম-ছায়া।।

শ্রীরসমঞ্জরী দেবি! কর অবধান।
নিরবধি করি তুয়া পাদ-পদ্ম ধ্যান।।

বৃন্দাবনে হয় নিত্য যুগল-বিলাস।
প্রার্থনা করয়ে সদা নরোত্তমদাস।।

राधा-कृष्ण-सेवोन् मुञि
श्रीरूप-रती मञ्जन्यः विज्ञप्तिः
(श्री रूपमंजरी एवं श्री रती मंजरी से प्रार्थना)

राधा-कृष्ण-सेवोन् मुजि जीवने मरणे ।
ताँर स्थान ताँर लीला देखोन् रात्री दिने ॥ १ ॥

ये स्थाने ये लीला करे युगल-किशोर ।
सखीर संगिनी हड्या ताँहे हन भोर ॥ २ ॥

श्री-रूप-मञ्जरी-पद सेवोन् निरवधि ।
ताँर पाद-पद्म मोर मंत्र -महौषधि ।। ३ ।।

श्री-रति-मञ्जरी देवी मोरे कर दया। 
अनुक्षण देह तुया पाद-पद्म-छाया ॥४॥

श्री-रास-मञ्जरी देवी कर अबधान।
अनुक्षण देह तुया पाद-पद्म ध्यान ॥५ ॥

वृंदावने नित्य नित्य युगल-विलास ।
प्रार्थना करये सदा नरोत्तम दास ।। ६ ।।

मैं श्रीश्री राधा-कृष्ण की सेवा इस जीवन में तथा मृत्यु के बाद भी करूंगा, और वृन्दावन में दिन-रात उनकी लीलास्थलियों का दर्शन करूँगा।

जिन स्थानों में युगलकिशोर श्रीश्री राधाकृष्ण लीला करेंगे उन स्थानों में सखियों की संगिनी बनकर उनकी दिव्य लीलाओं के दर्शन में मैं आनन्द-विभोर रहूँगा।

मैं श्री रूपमञ्जरी के चरणकमलों की सेवा निरन्तर करूँगा। उनके चरणकमल मेरा मंत्र एवं महाऔषधी हैं।

हे रति मञ्जरी देवि! कृपया मुझपर दया कीजिए, और प्रतिक्षण अपने चरणकमलों की छाया प्रदान कीजिए।

हे रस मंजरी देवी! मुझपर अपनी कृपादृष्टि कीजिए ताकि मेरा मन सदा आपके चरणों के ध्याान में निमग्न हो सके।

श्रील नरोत्तमदास ठाकुर सदैव यही प्रार्थना करते हैं कि, “मैं वृन्दावन की नव-नवीन दिव्य लीलाओं का सदा अनुभव कर सकूँ।”

राधा-कृष्ण-सेवोन् मुञि
श्रीरूप-रती मञ्जन्यः विज्ञप्तिः
(श्री रूपमंजरी आणि श्री रती मंजरी यांचप्रती प्रार्थना)

राधा-कृष्ण-सेवोन् मुजि जीवने मरणे ।
ताँर स्थान ताँर लीला देखोन् रात्री दिने ॥ १ ॥

ये स्थाने ये लीला करे युगल-किशोर ।
सखीर संगिनी हड्या ताँहे हन भोर ॥ २ ॥

श्री-रूप-मञ्जरी-पद सेवोन् निरवधि ।
ताँर पाद-पद्म मोर मंत्र -महौषधि ।। ३ ।।

श्री-रति-मञ्जरी देवी मोरे कर दया। 
अनुक्षण देह तुया पाद-पद्म-छाया ॥४॥

श्री-रास-मञ्जरी देवी कर अबधान।
अनुक्षण देह तुया पाद-पद्म ध्यान ॥५ ॥

वृंदावने नित्य नित्य युगल-विलास ।
प्रार्थना करये सदा नरोत्तम दास ।। ६ ।।

१. जिवंतपणी आणि मरणानंतरही मी श्री राधाकृष्णांची सेवा करीन. दिवस-रात्र वृंदावनात त्यांच्या लीलास्थळीचे दर्शन करीन.

२. या दिव्य युगल जोडीच्या अनेक लीला मी सखींसमवेत त्यांची संगिनी बनून वृंदावनात पाहीन.

३. मी सतत श्रीरूप मंजरीच्या चरणांची सेवा करीन. त्यांचे चरणकमलच माझा मंत्र व माझी महाऔषधी आहे.

४. ओह! श्री रती मंजरी, हे देवी! कृपया माझ्यावर दया करा आणि कृपाकरून मला तुमच्या चरणकमलांचा आश्रय प्रदान करा.

५. ओह! श्री रास मंजरी, हे देवी! माझ्यावर आपली कृपादृष्टी असू द्या. माझे मन निरंतर तुमच्या चरणकमलांवर ध्यानस्थ असू दे.

६. वृंदावनातील राधा-कृष्णांच्या नवनवीन लीला अनुभवण्यास मिळू दे, अशी प्रार्थना नरोत्तम दास करीत आहेत.

Additional Info

Not available.

Resources

English

Buy $1

Bengali

Download PDF

Buy Tickets $1

Hindi

Download PDF

Buy Tickets $1

Links

Audios

Videos

Leave A Comment

Scroll to Top