Jaya Jaya Sri Krsna Caitanya Nityananda
Song Name: Jaya Jaya Sri Krsna Caitanya Nityananda
Official Name: Lalasa Song 9
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
Song Name: Jaya Jaya Sri Krsna Caitanya Nityananda
Official Name: Lalasa Song 9
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
jaya jaya śrī kṛṣṇa caitanya nityānanda;
jayādvaitacandra jaya gaura-bhakta-vrṇda (1)
kṛpā kari sabe meli karaha karuṇā
adhama patita-jane nā kariha ghṛṇā (2)
e tina-saṁsāra-mājhe tuyā pada sāra
bhāviyā dekhinu mane-gati nāhi āra (3)
se pada pābāra āśe kheda uṭhe mane
vyākul hṛdaya sadā kariye krandane (4)
ki-rūpe pāiba kichu nā pāi sandhāna;
prabhu lokanātha-pada nāhika smaraṇa (5)
tumi ta dayāla prabhu cāha eka-bāra;
narottama hṛdayera ghucā-o andhakāra (6)
All glories to Śrī Krşņa Caitanya and Lord Nityananda! All glories to Śrī Advaita, and all glories to all the devotees of Śrī Caitanya Mahāprabhu!
All of You, kindly be compassionate on me and do not reject this most fallen soul.
I have carefully considered and concluded that Your lotus feet are the only essence in this material world. There is no other way.
To obtain the shelter of those lotus feet, I always lament. My heart becomes overwhelmed, thus I cry.
I have neither information of how to obtain them nor do I remember the lotus feet of my spiritual master, Lokanātha Gosvāmī.
You are the most merciful Lord. Therefore, please keep Your merciful vision on me and dissipate the darkness of the heart of Narottama dāsa.
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जय जय श्रीकृष्णचैतन्य नित्यानन्द ।
जयाद्वैतचन्द्र जय गौरभक्तवृन्द ॥१॥
कृपा करि’ सबे मेलि’ करह करुणा।
अधम पतितजने ना करिह घृणा ॥२॥
ए तिन संसार-माझे तुया पद सार।
भाविया देखिनु मने-गति नाहि आर ॥३॥
से पद पाबार आशे खेद उठे मने।
व्याकुल हृदय सदा करिय क्रन्दने ॥४॥
कि रूपे पाइब किछु ना पाइ सन्धान।
प्रभु लोकनाथ-पद नाहिक स्मरण ॥५॥
तुमि त’ दयाल प्रभु! चाह एकबार ।
नरोत्तम-हृदयेर घुचाओ अन्धकार ॥६॥
श्रीचैतन्यमहाप्रभु की जय हो, श्री नित्यानन्दप्रभु की जय हो। श्रीअद्वैतआचार्य की जय हो और श्रीगौरचंद्र के समस्त भक्तों की जय हो।
कृपा करके सब मिलकर मुझपर करुणा कीजिए। मुझ जैसे अधम-पतित जीव से घृणा मत कीजिए।
मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि तीनों लोकों में आपके चरणकमलों के अतिरिक्त और कोई आश्रय स्थान नहीं है।
उन श्रीचरणों की प्राप्ति के लिए मेरा मन अति दुःखी होता है और व्याकुल होकर मेरा हृदय भर जाता है। अत: मैं सदैव रोता रहता हूँ।
उन श्रीचरणों को कैसे प्राप्त करूँ इसका भी ज्ञान मुझे नहीं है और न ही मेरे गुरुदेव श्रील लोकनाथ गोस्वामी के चरणकमलों का मैं स्मरण कर पाता हूँ।
हे प्रभु! आप सर्वाधिक दयालु हैं। अत: अपनी कृपादृष्टि से एकबार मेरी ओर देखिये एवं इस नरोत्तम के हृदय का अज्ञान-अंधकार दूर कीजिए।
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