Hari Hari Bada Sela Marame
Song Name: Hari Hari Bada Sela Marame
Official Name: Dainya Bodhika Song 5; Dainya Vilapa
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
Song Name: Hari Hari Bada Sela Marame
Official Name: Dainya Bodhika Song 5; Dainya Vilapa
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
hari hari! baḍa śela marame rahila
pāiyā durlabha tanu, śrī kṛṣṇa-bhajana vinu
janma mora biphala haila (1)
brajendra nandana hari, navadvīpe avatarī,
jagat bhariyā prema dila
mui se pāmara mati, viśeṣe kaṭhina ati,
teṅhi more karuṇā nahilo (2)
svarūpa sanātana rūpa, raghunātha bhaṭṭa yuga,
tāhāte nā haila mora mati
divya cintāmaṇi dhāma, vṛndāvana heno sthāna,
sei dhāme nā koinu vasati (3)
viśeṣa viṣaye mati, nahila vaiṣṇave rati,
nirantara kheda uṭhe mane
narottama dāsa kahe, jīvera ucita nahe,
śrī-guru-vaiṣṇava-sevā vine (4)
O Lord Hari, O Lord Hari, a great javelin is piercing my heart. Even after attaining this rare human body, still I have not worshipped Śrī Kṛṣṇa and thus my life has become useless.
Lord Hari, though the son of the King of Vraja appeared in Navadvipa, and filled the whole world with love of God, but I alone could not receive His mercy because I am so sinful-minded particularly hard-hearted.
My mind did not pay attention to Śrīla Svarupa Damodara Gosvāmi, Śrīla Sanatana Gosvāmī, Śrīla Rūpa Gosvāmī, Śrīla Raghunatha dasa Gosvāmī, Śrīla Gopala Bhaṭṭa Gosvāmī and Śrīla Raghunatha Bhaṭṭa Gosvāmī. I refused to reside in Vṛndāvana, the abode of transcendental spiritual gems.
My mind is particularly my absorbed in sense enjoyment and I have not developed attachment for the Vaiṣṇavas. Always suffering and lamenting, Narottama dasa implores you to not live without serving spiritual master and the Vaisnavas.
হরি হরি ! বড় শেল মরমে রহিল
পাইয়া দুর্লভ তনু শ্রী-কৃষ্ণ-ভজন বিনু
জন্ম মোর বিফল হইল (১)
ব্রজেন্দ্র-নন্দন হরি নবদ্বীপে অবতরি
জগত ভরিয়া প্রেম দিল
মুঞি সে পামর মতি বিশেষ কঠিন অতি
তেঞি মোরে করুণা নহিল (২)
স্বরূপ সনাতন রূপ রঘুনাথ ভট্ট-যুগ
তাহাতে না হৈল মোর মতি
দিব্য চিন্তামণি ধাম বৃন্দাবন হেন স্থান
সেই ধামে না কৈনু বসতি (৩)
বিশেষ বিষয়ে মতি নহিল বৈষ্ণবে রতি
নিরন্তর খেদ উঠে মনে
নরোত্তম দাস কহে জীবার উচিত নহে
শ্রী-গুরু-বৈষ্ণব-সেবা বিনে (৪)
हरि हरि ! बड़ शेल मरमे रहिल।
पाइया दुर्लभ तनु, श्रीकृष्णभजन बिनु,
जन्म मोर विफल हइल ॥१॥
ब्रजेन्द्रनन्दन हरि, नवद्वीपे अवतरि’,
जगत भरिया प्रेम दिल।
मुइ से पामर-मति, विशेष कठिन अति,
तेंहि मोरे करुणा नहिल ॥२॥
स्वरूप, सनातन, रूप, रघुनाथ भट्टयुग,
ताहाते ना हइल मोर मति।
दिव्य-चिन्तामणि-धाम, वृन्दावन हेन स्थान,
सेइ धामे ना कैनू वसति ॥३॥
विशेष विषये मति, नहिल वैष्णवे रति,
निरन्तर खेद उठे मने।
नरोत्तमदास कहे, जीवेर उचित नहे,
श्रीगुरु-वैष्णव-सेवा बिने ॥४॥
हे हरि! मेरे हृदय में एक बड़ी वेदना हो रही है। दुर्लभ मनुष्य देह-प्राप्ति के बाद भी, मैंने भगवान् श्रीकृष्ण का भजन नहीं किया। अतः मेरा जीवन व्यर्थ हो गया है।
यद्यपि, व्रजेन्द्रनन्दन श्रीकृष्ण ने नवद्वीप धाम में प्रकट होकर पूरे विश्व में भगवत्प्रेम का वितरण किया। केवल मैं ही उनकी कृपा को प्राप्त नहीं कर सका, क्योंकि मैं अत्यंत पापी एवं कठोर हृदयी हूँ।
मेरे मन में श्रील स्वरूप दामोदर गोस्वामी, श्रील सनातन गोस्वामी, श्रील रूप गोस्वामी, श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी, श्रील रघुनाथ भट्ट गोस्वामी,श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी, के प्रति कोई आकर्षण नहीं है। न ही मैंने वृन्दावन में रहने की इच्छा की।
श्रील नरोत्तमदास ठाकुर प्रार्थना करते हैं “मेरा मन सदैव इंद्रियतृप्ति में संलग्न रहता है और मैंने वैष्णवों के प्रति आसक्ति विकसित नहीं की, इसीलिये मैं सदैव दुःखी तथा शोकाकुल हूँ। गुरु और वैष्णव सेवा के बिना जीव का शुभ नहीं है।”
हरि हरि ! बड़ शेल मरमे रहिल।
पाइया दुर्लभ तनु, श्रीकृष्णभजन बिनु,
जन्म मोर विफल हइल ॥१॥
ब्रजेन्द्रनन्दन हरि, नवद्वीपे अवतरि’,
जगत भरिया प्रेम दिल।
मुइ से पामर-मति, विशेष कठिन अति,
तेंहि मोरे करुणा नहिल ॥२॥
स्वरूप, सनातन, रूप, रघुनाथ भट्टयुग,
ताहाते ना हइल मोर मति।
दिव्य-चिन्तामणि-धाम, वृन्दावन हेन स्थान,
सेइ धामे ना कैनू वसति ॥३॥
विशेष विषये मति, नहिल वैष्णवे रति,
निरन्तर खेद उठे मने।
नरोत्तमदास कहे, जीवेर उचित नहे,
श्रीगुरु-वैष्णव-सेवा बिने ॥४॥
१. हे हरी! माझ्या मनात एक मोठी खंत राहिली आहे. दुर्लभ मनुष्य जीवनाच्या प्राप्तीनंतर देखील भगवान श्रीकृष्णांची मी आराधना केली नाही. म्हणून माझे जीवन निरुपयोगी झाले आहे.
२. हे व्रजेंद्रनंदन श्रीहरी नवद्वीप धामात प्रकट झाले आहेत. त्यांनी संपूर्ण जगात भगवत्प्रेमाचे वितरण केले आहे. पण, मी अत्यंत पापी कठोर हृदयी असल्याने त्यांची कृपा प्राप्त करू शकलो नाही.
३. माझे मन श्रील स्वरूप दामोदर गोस्वामी, श्रील सनातन गोस्वामी, श्रील रूप गोस्वामी, श्रील रघुनाथ दास गोस्वामी, श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी व श्रील रघुनाथ भट्ट गोस्वामी यांच्याकडे आकर्षित होण्यासाठी नकार देते. वृंदावनात राहण्याची देखील मी कधी इच्छा केली नाही.
४. माझे मन पूर्णपणे इंद्रियतृप्तीत मग्न झाले आहे. वैष्णवांप्रतीच्या भक्तीपासून मी दूर आहे, म्हणूनच सतत दुःख आणि त्रास भोगत आहे. नरोत्तम दास सांगतात की, गुरू आणि वैष्णवांची सेवा करणे, हेच जीवात्म्याचे प्रथम कर्तव्य आहे.
Dainya Bodhika Prarthana means prayers describing fallen condition.