Hari Hari Ara Ki Emana Dasa Haba (2)
Song Name: Hari Hari Ara Ki Emana Dasa Haba (2)
Official Name: Swabhista Lalasa Song 5
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
Song Name: Hari Hari Ara Ki Emana Dasa Haba (2)
Official Name: Swabhista Lalasa Song 5
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
hari hari! āra ki emana daśā haba
chāḍiyā puruṣa deha, kabe vā prakṛti haba
dūṅhū aṅge candana parāba
ṭāniyā bāṅdhiba cūḍā, nava guñjā-hāre beḍā,
nānā phule gāṅthi diba hāra
pīta-vasana aṅge, parāiba sakhī saṅge,
vadane tāmbūla diba āra
duṅhu rūpa manohārī, heriba nayana bhari,
nīlāmbare rāi sājāiyā
nava-ratna-jari āni, bāṅdhiba vicitra veṇī,
tāte phūla mālatī gāṅthiyā (3)
sei rūpa mādhurī, dekhiba nayana bhari’,
ei kari mane abhilāṣā
jaya rūpa sanātana, deha more ei dhana,
nivedaye narottama dāsa (4)
O Lord Hari, will this ever happen to me that I leave this male body and upon assuming a female body I will apply sandalwood paste on the limbs of both Radha and Kṛṣṇa?
I will comb Their hair and decorate Them with new gunja mālā, and make garlands of beautiful flowers for Them, and I will dress Kṛṣṇa in yellow garments, and along with His sakhis offer betelnuts to Him.
I will gaze at the enchanting beauty of Their Lordships and I will dress Śrī Rdhika with blue garments decorated with nine types of precious gems, and then braid Her hair wonderfully, and offer a garland of malati flowers.
My desire is to always be gazing at Their beautiful forms. All glories to Śrīla Rūpa Gosvāmī and Śrīla Sanatana Gosvāmī. I pray You may give this treasure to Narottama dāsa.
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हरि हरि ! आर कि एमन दशा हब।
छाड़िया पुरुष देह, कबे वा प्रकृति हब,
दूँहू असे चन्दन पराब ॥१॥
टानिया बाँधिब चूड़ा, नव गुंजाहारे बेड़ा
नाना फुले गाँथि दिब हार ।
पीतवसन अङ्गे, पराइब सखि-सङ्गे,
वदने ताम्बुल दिब आर ॥२॥
मुँह रूप मनोहारी, हेरिब नयन भरि’
नीलाम्बरे राइ साजाइया ।
नवरत्न – जरि आनि, बान्धिब विचित्र वेणी,
ताते फुल मालती गाँथिया ॥३॥
सेइ रूपमाधुरी, देखिब नयन भरि,
एइ करि मने अभिलाष ।
जय रूप सनातन, देह मोरे एइ धन,
निवेदये नरोत्तमदास ||४||
हे भगवान् हरि! क्या मेरी कभी ऐसी दशा होगी कि मैं इस पुरुष देह को त्यागने के पश्चात्, प्रकृति देह (स्त्री) को धारण कर श्रीश्री राधा-कृष्ण के श्री अंगों पर चन्दन लेपित करूँ?
मैं उनके केशों को गूभूँगी तथा उन्हें एक नवीन गुँजा – माला से सुशोभित करूँगी एवं उनके लिए सुन्दर पुष्पों के हार बनाऊँगी। मैं श्रीकृष्ण को पीतवस्त्रों से अलंकृत करूँगी एवं उनकी सखियों के संग उन्हें ताम्बूल अर्पित करूँगी।
मैं उन दोनों का मनोहारी रूप नयन-भरके देखूँगी। मैं श्री राधिका को नीले वस्त्रों से सुशोभित करूँगी। ये वस्त्र नौ विभिन्न प्रकार के बहुमूल्य रत्नों से जड़ित होंगे। तत्पश्चात् मैं उनके केशों को गूंथ कर अद्भुत वेणी बनाऊँगी एवं उन्हें मालती पुष्पों से निर्मित हार अर्पित करूँगी।
मेरी मनोभिलाषा vec vec c कि मैं उनकी रूप-माधुरी को एकटक दृष्टि से निहारूँ। श्रील रूप गोस्वामी तथा श्रील सनातन गोस्वामी की जय हो! मेरा निवेदन है कि आप कृपया श्रील नरोत्तमदास ठाकुर को यह धन प्रदान करें।
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