Ha Ha Prabhu Kara Daya Karuna Tomara​

Song Name: Ha Ha Prabhu Kara Daya Karuna Tomara
Official Name: Lalasa Song 7
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

hā hā prabhu kara dayā karuṇā tomāra;
michā māyā-jāle tanu dahiche āmāra (1)

kabe hena daśā habe sakhī-saṅga pāba;
vṛndāvanera phula gāṅthi doṅhāke parāba (2)

sammukhe basiyā kabe cāmara ḍhulāba;
aguru-candana-gandha dūṅha aṅge diba (3)

sakhīra ājñāya kabe tāmbūla jogāba;
sindūra tilaka kabe doṅhāke parāba (4)

vilāsa-kautuka keli dekhiba nayane;
candramukha nirakhiba basāye siṁhāsane (5)

sadā se mādhurī dekhi manera lālase;
kata-dine habe dayā narottama dāse (6)

O my Lord, please be compassionate on me. My body is always burning in the false network of Māyā!

When will I be fortunate enough to have the association of the sakhīs in Vrndāvana, making flower garlands and decorating both of You?

When will I fan both of You with a camara and put fragrant sandalwood paste on Your bodies?

When will I offer You betelnuts by the order of the sakhīs and put sindhūra and tilaka on You?

When will I see Your beautiful pastimes with my own eyes, as well as Your moonlike faces after having positioned You on the throne?

When will the Lord, being kind to me, allow me to always see the sweet pastimes for which I, Narottama dāsa, am extremely greedy?

Not Available.

हा हा प्रभु! कर दया करुणा तोमार।
मिछा मायाजाले तनु दहिछे आमार ॥१॥

कबे हेन दशा हबे-सखी-संग पाब।
वृन्दावनेर फुल गाँधि दोहा के पराब ॥२॥

सम्मुखे बसिया कबे चामर दुलाब।
अगुरु चन्दन-गन्ध दूँह अंगे दिब ॥३॥

सखीर अज्ञाय कबे ताम्बुल जोगाब।
सिन्दुर तिलक कबे दोहा के पराब ॥४॥

विलास-कौतुक केलि देखिब नयने। 
चंद्रमुख निरखिब बसाये सिंहासने ॥५॥ 

सदा से माधुरी देखि मनेर लालसे।
कतदिने हबे दया नरोत्तमदासे ॥६॥

हे प्रभु! कृपया मुझपर करुणा कीजिये। मेरा शरीर सर्वदा मिथ्या मायाजाल में जल रहा है।

मैं कब भाग्यशाली होऊँगा कि सखियों के संग में रहकर, वृन्दावन में पुष्पों के हार बनाकर आप दोनों को सजाऊँगा?

मैं कब आपके सम्मुख बैठकर चामर झुलाऊँगा? कब सुगंधित चन्दन आदि श्रीअंगोंपर लगाऊँगा?

कब मैं सखियों की आज्ञा से पान-सुपारी अर्पण करूँगा? कब सिन्दूर और तिलक लगाऊँगा?

कब मैं अपने नेत्रों से आपकी लीलाओं को देख सकूँगा? सिंहासन पर बैठाकर कब मैं आपके चंद्रमुख का दर्शन करूँगा?

कब भगवान् मुझपर दयालु होंगे? कब वे अपनी लीला माधुरी का सदैव दर्शन करने की अनुमति प्रदान करेंगे? इसके श्रील नरोत्तमदास ठाकुर लोभी हैं।

हा हा प्रभु! कर दया करुणा तोमार।
मिछा मायाजाले तनु दहिछे आमार ॥१॥

कबे हेन दशा हबे-सखी-संग पाब।
वृन्दावनेर फुल गाँधि दोहा के पराब ॥२॥

सम्मुखे बसिया कबे चामर दुलाब।
अगुरु चन्दन-गन्ध दूँह अंगे दिब ॥३॥

सखीर अज्ञाय कबे ताम्बुल जोगाब।
सिन्दुर तिलक कबे दोहा के पराब ॥४॥

विलास-कौतुक केलि देखिब नयने। 
चंद्रमुख निरखिब बसाये सिंहासने ॥५॥ 

सदा से माधुरी देखि मनेर लालसे।
कतदिने हबे दया नरोत्तमदासे ॥६॥

१. हे प्रभू! कृपया माझ्यावर दया करा. माझे शरीर सतत मायेच्या मिथ्या जाळ्यात अडकून जळत आहे.

२. केव्हा माझे भाग्य उजळेल, मी वृंदावनामध्ये सर्व सखींच्या संगतीत तुम्हा दोघांसाठी फुलांचे हार बनवीन आणि तुम्हाला सजवेन?

३. कधी मी तुमच्यासाठी चामरसेवा करीन, तुमच्या दिव्य शरीरावर चंदनाचा लेप लावीन ?

४. सखींच्या आज्ञेवरून केव्हा मी तुम्हाला सुगंधी सुपारी अर्पण करीन आणि तुमच्या कपाळावर सिंदूर व तिलक लावीन ?

५. केव्हा मी माझ्या नेत्रांनी आपल्या सुंदर लीला पाहू शकेन? सिंहासनावर आसनस्थ आपले चंद्रमुख मी केव्हा पाहीन?

६. केव्हा भगवंत माझ्यावर दया करतील? सतत त्यांच्या लीलामाधुरीचे दर्शन करण्यास केव्हा अनुमती देतील? याचसाठी हा नरोत्तमदास लोभी आहे.

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