Ei Bara Paile Dekha

Song Name: Ei Bara Paile Dekha
Official Name: Mathura-virahocita Darasana-lalasa Song 2
(Devotee’s Yearning to see Mathura)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

ei bāra pāile dekhā caraṇa dukhāni
hiyāra mājhāre rākhi juḍāba parāṇī (1)

tāṅre nā dekhiyā mora mane baḍa tāpa
anale paśiba kimvā jale diba jhāṁpa (2)

mukhera muchāba ghāma khāoyāba pāna guyā
ghāmete bātās diba candanādi cuyā (3)

vṛndāvanera phulera gāṅthiyā diba hāra
bināiyā bāndhiba cūḍā kuntalera bhāra (4)

kapāle tilaka diba candanera cāṅda
narottama dāsa kahe pirītera phāṅda (5)

If I could see the lotus feet of the Lord even one time, I would keep Them in my heart and relieve my soul.

Without seeing Him, my mind is greatly distressed. I keep think- ing should I burn in the fire or jump in the water to drown?

I will wipe the perspiration from His face and offer betelnuts to Him. I will fan Him and offer sandalwood paste.

I will prepare a garland with the flowers of Vrndāvana and arrange His curly dark hairs to make a crown.

I will mark His forehead with tilaka and paint a moon on it with sandalwood paste. Narottama dāsa says, “This is the snare of my love”.

এই বার পাইলে দেখা চরণ দুখানি
হিয়ার মাঝারে রাখি জুড়াব পরাণী (১)

তারে না দেখিয়া মোর মনে বড় তাপ
অনলে পশিব কিম্বা জলে দিব ঝাঁপ (২)

মুখের মুছাব ঘাম খাওয়াব পান গুয়া
শ্রমেতে বাতাস দিব চন্দনাদি চূয়া (৩)

বৃন্দাবনের ফুলের গাঁথিয়া দিব হার
বিনাইয়া বান্ধিব চূড়া কুন্তলের ভার (৪)

কপালে তিলক দিব চন্দনের চাঁদ
নরোত্তম দাস কহে পিরীতের ফাঁদ (৫)

मथुराविरहोचित दर्शन-लालसा,
(मथुरा-दर्शन करने की भक्त की तीव्र उत्कण्ठा)

एइबार पाइले देखा चरण दुखानि ।
हियार माझारे राखि, जुड़ा’ब पराणी ॥१॥

ताँरे ना देखिया मोर मने बड़ ताप।
अनले पशिब किंवा जले दिबे झाँप ॥२॥

मुखेर मुछाब घाम, खाओयाब पान गुया।
घामेते बातास दिब, चन्दनादि चूया ॥३॥

वृन्दावनेर फुलेर गाँथिया दिब हार।
बिनाइया बान्धिब चूड़ा कुन्तलेर भार ॥४॥

कपाले तिलक दिब चन्दनेर चाँद।
नरोत्तमदास कहे विपरीतेर फाँद ॥५॥

यदि मुझे मात्र एक बार भगवान् के चरणकमलों के दर्शन हो जाएँ, तो मैं उन्हें अपने हृदय में स्थापित कर लूँगी, इस प्रकार आत्मतृप्ति प्राप्त करूँगी।

उनके दर्शन किए बिना मेरा मन अत्यन्त उद्विग्न है। मैं निरंतर चिन्तन कर रही हूँ कि क्या मैं अग्नि में ज्वलित हो जाऊँ या जलमग्न हो जाऊँ?

मैं उनके मुखमंडल पर आए स्वेद-कणों (पसीना) को पोहूँगी तथा उन्हें पान अर्पित करूंगी। मैं उनको पंखा करूँगी तथा उन्हें चन्दन अर्पित करूँगी।

मैं वृन्दावन के पुष्पों द्वारा उनके हेतु माला बनाऊँगी और उनके घुँघराले काले केशसमूह को गूँथ कर मुकुट बनाऊँगी।

मैं उनके मस्तक को तिलक द्वारा सुशोभित करूँगी तथा चन्दन से चन्द्र-चिन्ह अंकित करूँगी। श्रील नरोत्तम दास ठाकुर कहते हैं: “यह मेरी प्रीति का फंदा है।”

मथुराविरहोचित दर्शन-लालसा,
(मथुरा-दर्शन करण्यासाठी भक्ताची तीव्र उत्कण्ठा)

एइबार पाइले देखा चरण दुखानि ।
हियार माझारे राखि, जुड़ा’ब पराणी ॥१॥

ताँरे ना देखिया मोर मने बड़ ताप।
अनले पशिब किंवा जले दिबे झाँप ॥२॥

मुखेर मुछाब घाम, खाओयाब पान गुया।
घामेते बातास दिब, चन्दनादि चूया ॥३॥

वृन्दावनेर फुलेर गाँथिया दिब हार।
बिनाइया बान्धिब चूड़ा कुन्तलेर भार ॥४॥

कपाले तिलक दिब चन्दनेर चाँद।
नरोत्तमदास कहे विपरीतेर फाँद ॥५॥

१. या क्षणीच जर मी भगवंतांच्या श्रीचरणांना पाहिले तर त्यांना माझ्या हृदयात ठेवीन, माझ्या आत्म्यास मुक्त करीन.

२. त्यांच्या अदृष्यतेने तर माझ्या मनाची अशी दुर्दशा होते, वाटते की, स्वतःला अग्नीत जाळून घ्यावे की पाण्यात उडी मारून जीव द्यावा.

३. त्यांच्या मुखावरील घाम मी पुसेन आणि त्यांना विडा अर्पण करीन. चामराने वारा घालेन व चंदनाचा लेपही अर्पण करीन.

४. वृंदावनातील फुलांनी त्यांच्यासाठी हार बनवेन. त्यांच्या सुंदर घुंगराळू केसांचा चूडा बांधून त्याचा मुकुट बनवेन.

५. त्यांच्या कपाळावर तिलक लावून त्यात चंदनाने चंद्रकोर काढेन. नरोत्तम दास म्हणतात, “हाच माझा प्रेमपाश आहे.”

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