Ei Bara Karuna Kara
Song Name: Ei Bara Karuna Kara
Official Name: Vaisnave Vijnapati Song 2
(Prayers to Vaishnavas)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
Song Name: Ei Bara Karuna Kara
Official Name: Vaisnave Vijnapati Song 2
(Prayers to Vaishnavas)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali
ei-bāra karuṇā kara vaiṣṇava gosāñi
patita-pāvana tomā bine keha nāi (1)
yāhāra nikaṭe gele pāpa dūre jāya
emana dayāla prabhu kebā kothā pāya (2)
gaṅgāra paraśa haile paścate pāvana
darśane pavitra kara-ei tomāra guṇa (3)
hari-sthāne aparādhe tāre hari-nāma
tomā sthāne aparādhe nāhi paritrāṇa (4)
tomāra hṛdaye sadā govinda-viśrāma
govinda kahena-mora vaiṣṇava parāṇa (5)
prati-janme kari āśā caraṇera dhūli
narottame kara dayā āpanāra bali’ (6)
O Vaisnava Gosvāmī, please be merciful to me at least this one time. Except for you, there is no one who can purify the fallen souls.
Where can anyone find such a merciful personality by whose mere audience all sins go far away?
After bathing in the waters of the sacred Ganges many times, one becomes purified, but just by the sight of you, the fallen souls become purified. This is your great quality.
The holy name can deliver anyone who commits an offense to Lord Hari, but if someone commits an offense to you, there is no means of deliverance.
Govinda is always resting in your heart, so Govinda says, “The Vaisnavas are My heart.”
I desire the dust of your holy feet in every birth I may take. Please consider Narottama dāsa yours, and be kind upon him.
এই-বার করুণা কর বৈষ্ণব গোসাঞি
পতিত-পাবন তোমা বিনে কেহ নাই (১)
যাহার নিকটে গেলে পাপ দূরে যায়
এমন দয়াল প্রভু কেবা কথা পায় (২)
গঙ্গার পরশ হৈলে পশ্চতে পাবন
দর্শনে পবিত্র কর-এই তোমার গুণ (৩)
হরি-স্থানে অপরাধে তারে হরি-নাম
তোমা স্থানে অপরাধে নাহি পরিত্রাণ (৪)
তোমার হৃদয়ে সদা গোবিন্দ-বিশ্রাম
গোবিন্দ কহেন-মোর বৈষ্ণব পরাণ (৫)
প্রতি-জন্মে করি আশা চরণের ধূলি
নরোত্তমে কর দয়া আপনার বলি’ (৬)
एइबार करुणा कर
(वैष्णव-तत्त्व)
एड़बार करुणा कर वैष्णव गोसाञि ।
पतितपावन तोमा बिने केह नाइ ॥१ ॥
याँहार निकटे गेले पाप दूरे जाय ।
एमन दयाल प्रभु केबा कोथा पाय? ॥२ ॥
गङ्गार परश हैले पश्चाते पावन ।
दर्शने पवित्र कर एइ तोमार गुण ॥ ३ ॥
हरिस्थाने अपराधे तारे’ हरिनाम ।
तोमा स्थाने अपराधे नाहि परित्राण ॥४॥
तोमार हृदये सदा गोविन्द-विश्राम ।
गोविन्द कहेन-मोर वैष्णव पराण ॥५ ॥
प्रति जन्मे करि आशा चरणेर धूलि ।
नरोत्तमे कर दया आपनार बलि ।। ६ ।।
हे वैष्णव गोसाँई! कृपया मुझ पर इस बार करुणा करो। आपके बिना पतित जीवों को पावन करनेवाला और कौन है?
ऐसा परम दयालु कोई कहाँ प्राप्त कर सकेगा, जिसके निकट जाने मात्र से पाप दूर चले जाते हैं?
गंगाजल में अनेकों बार स्नान करने के बाद ही कोई शुद्ध हो पाता है, किन्तु आपके तो केवल दर्शन करने मात्र से पतित जीवात्माएँ पवित्र जो जाती हैं। यही आपका महान गुण हैं।
भगवान् श्रीहरि के प्रति किए गए अपराधों से मुक्ति हरिनाम के द्वारा मिलती है, किन्तु यदि कोई आपके चरणों में अपराध करे, तो उस अपराध से कदापि ही निस्तार संभव नहीं।
आपके हृदय tilde pi भगवान् गोविन्द सदैव विराजमान होते हैं, और भगवान् गोविन्द कहते हैं, “वैष्णवगण ही मेरे प्राण हैं।”
अतः मैं जन्मजन्मान्तरों में आपकी चरण-धूलि की कामना करता हूँ। कृपया नरोत्तमदास को अपना समझकर कृपा कीजिए।
एइबार करुणा कर
(वैष्णव-तत्त्व)
एड़बार करुणा कर वैष्णव गोसाञि ।
पतितपावन तोमा बिने केह नाइ ॥१ ॥
याँहार निकटे गेले पाप दूरे जाय ।
एमन दयाल प्रभु केबा कोथा पाय? ॥२ ॥
गङ्गार परश हैले पश्चाते पावन ।
दर्शने पवित्र कर एइ तोमार गुण ॥ ३ ॥
हरिस्थाने अपराधे तारे’ हरिनाम ।
तोमा स्थाने अपराधे नाहि परित्राण ॥४॥
तोमार हृदये सदा गोविन्द-विश्राम ।
गोविन्द कहेन-मोर वैष्णव पराण ॥५ ॥
प्रति जन्मे करि आशा चरणेर धूलि ।
नरोत्तमे कर दया आपनार बलि ।। ६ ।।
हे वैष्णव ठाकूर! तुम्ही एकवेळ माझ्यावर कृपा करा, कारण पतितांना पावन करणारा आपल्याविना दुसरा कोणीच नाही.
केवळ आपल्या संपर्कात आल्यानेच एखाद्याचे पाप दूर होतात.
आपणच इतके दयाळू आहात, आपल्याइतका दयाळू आणखी कोठे पाहावयास मिळेल?
भगवती गंगेला स्पर्श केल्याने ती पवित्र करते; परंतु आपला तर असा अद्भुत प्रभाव आहे की, आपल्या केवळ दर्शनाने पतितांमधील पतित व्यक्तीदेखील सर्व प्रकारच्या पापांतून मुक्त होते.
हे वैष्णव ठाकूर! श्रीहरींच्या चरणांप्रती अपराध झाल्यास हरिनामाने तो अपराध नष्ट होऊ शकतो; परंतु आपल्या चरणांप्रती अपराध झाल्याने त्यापासून कधीच सुटकारा नाही.
आपल्या हृदयी सदैव गोविंद विराजमान असतात. स्वयं भगवान म्हणतात की, वैष्णव मला प्राणांहून अधिक प्रिय आहेत.
तसेच मी जन्म-जन्मांतरी आपल्या चरणधुळीची कामना करतो. नरोत्तमाला आपला दास मानून कृपा करा.
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