Ara Ki Emana Dasa Haba

Song Name: Ara Ki Emana Dasa Haba
Official Name: Sa-vilapa Sri Vrindavana-vasa-lalasa Song 1
(Lamentation for residence in Sri Vrindavana)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

āra ki emana daśā haba
saba chāḍi vṛndāvane jāba (1)

āra kabe śrī-rāsa-maṇḍale
gaḍāgaḍi diba kutūhale (2)

āra kabe govardhana giri
dekhiba nayana-yuga bhari (3)

śyāma-kuṇḍe rādhā-kuṇḍe snāna
kari kabe juḍāba parāṇa (4)

āra kabe yamunāra jale
majjane haiba niramale (5)

sādhu saṅge vṛndāvane vāsa
narottama dāsa kare āśa (6)

O when will it ever happen that I will abandon everything and go to Vendāvana?

When will I eagerly roll on the ground where the rāsalīlā pastimes took place? When will I see Govardhana Hill to my full satisfaction?

When will I bathe at Śyāma-kunda and Rādhā-kunda and relieve my soul? 

When will I bathe in Yamuna and purify myself?

Narottama dāsa longs and aspires to live in Vrndāvana in the association of devotees.

 

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आर कि एमन दशा हब।
सब छाडि वृंदावने जाब ॥१ ॥

आर कबे श्री-रास-मंडले । 
गडगडि दिब कुतूहले ॥२॥

आर कबे गोवर्धन गिरि । 
देखिब नयन-युग भरि ॥ ३ ॥

श्यामकुंडे राधाकुंडे स्नान ।
करि कबे जुडाब पराण ॥४॥

आर कबे जमुनार जले।
मज्जने हैब निर्मले ॥५॥ 

साधुसंगे वृंदावने वास ।
नरोत्तम दास करे आश ॥ ६ ॥

ओह! ऐसा कब होगा कि मैं सब कुछ छोड़कर वृन्दावन जाऊँगा?

मैं कब श्रीरासमण्डल में जाऊँगा जहाँ रासलीला हुई थी, कब वहाँ की भूमिपर लोट-पोट हो जाऊँगा?

मैं कब श्रीगिरिराज का नेत्र भरकर दर्शन करूँगा?

मैं कब श्यामकुंड, राधाकुंड में स्नान करके प्राणों को शीतलता प्रदान करूँगा।

मैं, कब यमुना के पवित्र जल में स्नान करके शुद्ध होऊँगा?

भक्तों के संग में वृन्दावन में वास हो। यही अभिलाषा श्रील नरोत्तमदास ठाकुर प्रकट करते हैं।

आर कि एमन दशा हब।
सब छाडि वृंदावने जाब ॥१ ॥

आर कबे श्री-रास-मंडले । 
गडगडि दिब कुतूहले ॥२॥

आर कबे गोवर्धन गिरि । 
देखिब नयन-युग भरि ॥ ३ ॥

श्यामकुंडे राधाकुंडे स्नान ।
करि कबे जुडाब पराण ॥४॥

आर कबे जमुनार जले।
मज्जने हैब निर्मले ॥५॥ 

साधुसंगे वृंदावने वास ।
नरोत्तम दास करे आश ॥ ६ ॥

१. ओह! असे कधी होईल का की, सर्वांचा त्याग करून मी वृंदावनाला जाईन ?

२. मी अत्यंत उत्कटपणे त्या भूमीवर लोळण घेईन जेथे रासलीला झाली. 

३. कधी मी पूर्ण समाधानाने गोवर्धन पर्वताचे दर्शन घेऊ शकेन?

४. कधी मी श्यामकुंड आणि राधाकुंडामध्ये स्नान करून माझ्या जीवाला मुक्त करीन? 

५. यमुनेत स्नान करून कधी मी स्वतःला शुद्ध करीन? 

६.भक्तांच्या संगामध्ये वृंदावनात राहण्यासाठी हा नरोत्तम दास अभिलाषा करीत आहे.

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