Praneshvari Ei Bara Karuna Kara More

Song Name: Pranesvari Ei Bara Karuna Koro More
Official Name: Siddha-dehena Sri Vrindavanaisvaryam Saksad-Vijnaptih Song 1
(Prayers to attain a spiritual body in Sri Vrindavan Dham)
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

prāneśvari! ei bāra karuṇā kara more!
daśanete tṛṇa dhari, añjali mastake kari,
ei jana nivedana kare (1)

priya sahacarī saṅge, sevana kariba raṅge,
aṅge veśa karibeka sādhe
rākha ei sevā kāje, nija pāda paṅkaje,
priya sahacarī-gaṇa mājhe (2)

sugandhi candana, maṇimaya ābharana,
kauṣika basana nānā raṅge
ei saba sebā yāṅra, dāsī yena haṅa tāṅra,
anukṣana thāki tāṅra saṅge (3)

jala subāsita kari, ratana bhṛgāre bhari,
karpūra bāsita guyā pāna
e saba sājāiyā ḍālā, labaga mālati mālā,
bhakṣa dravya nānā anupāma (4)

sakhīra iṅgita habe, e saba āniba kabe,
yogāiba lalitāra kāche
narottama dāse kaya, ei yena mora haya,
dāṅrhaiyā rahu sakhīra pāche (5)

O Queen of my life, taking a straw in my mouth and holding my folded hands to my head I pray to You to just one time be merciful to me.

Please engage me in the service of Your lotus feet under the guid- ance of Your dear sakhīs so I may happily dress You in beautiful gar- ments to my hearts content and serve You in so may ways.

May I constantly remain a maidservant of those sakhīs who dress You in beautiful clothes, decorate Your limbs with various jewels and apply sandalwood paste.

I will fill a waterpot with scented water, mix betelnuts with cam- phor, make a mālatī garland, and arrange delicious foods on a plate…

And then offer them to Lalita by her gesture. Narottama dāsa is praying and waiting for the opportunity to serve with the sakhīs.

সিদ্ধদেহেন শ্রীবৃন্দাবনৈশ্বর্য্যাং সাক্ষাদ্বিজ্ঞপ্তিঃ।

প্রাণেশ্বরি! এইবার করুণা কর মোরে।
দশনেতে তৃণ ধরি, অঞ্জলি মস্তকে করি, 
এই জন নিবেদন করে।।

প্রিয়সহচরী সঙ্গে, সেবন করিব রঙ্গে,
তুয়া প্রিয় ললিতা আদেশে।
তুয়া প্রিয় নিজসেবা, দয়া করি মোরে দিবা,
করি যেন মনের হরিষে।। 

সুগন্ধি চন্ধন, মণিময় আভরণ,
কৌষিক বসন নানারঙ্গে।
এইসব সেবা যাঁর, দাসী যেন হঙ তাঁর,
অনুক্ষণ থাকি তাঁর সঙ্গে।। 

জল সুবাসিত করি, রতন ভৃঙ্গারে ভরি,
কপূর বাসিত গুয়া পান।
এসব সাজায়া ডালা, লবঙ্গ-মালতী-মালা, 
ভক্ষ্যদ্রব্য নানা অনুপম।।

সখীর ঈঙ্গিত হবে, এসব আনিব কবে,
যোগাইব ললিতার কাছে।
নরোত্তম দাসে কয়, এই যেন মোর হয়,
দাড়াইয়া রহোঁ সখীর পাছে।।

प्राणेश्वरी! एइ बार
सिद्ध-देहेन श्रीवृंदावनैश्वऱ्याम् साक्षाद्-विज्ञप्ति
(वृन्दावन में आध्यात्मिक शरीर प्राप्ति हेतु प्रार्थना)

प्राणेश्वरी ! एइ बार करुणा कर मोरे
दशनेते तृण धरि, अंजली मस्तके करि
एइ-जन निवेदन करे ॥१ ॥

प्रिय-सहचरी-संगे, सेवन करिब रंगे
अंगे वेश करिबेक साधे।
राख एड़ सेवा-काजे, निज पद-पङ्कजे
प्रिय-सहचरी-गण-माझे ॥२॥

सुगंधि चंदन, मणिमय आभरण
कौशिक बसन नाना रंगे।
एइ सब सेब्रा जाँर, दासी जेन हञ ताँर
अनुक्षण थाकि तांर संगे ॥ ३ ॥ 

जल सुबासित कारि, रतन शृंगारे भरि
कर्पूर-ब्रासित गुया पान ।
ए-सब साजाइय दाला, लवंग मालती-माला
भक्ष्य-द्रव्य नाना अनुपम ॥४ ॥

सखीर इंगित हबे, ए-सब आनिया कबे
जोगाइब ललितार काछे।
नरोत्तम दास कय, एड़ जेन मोर हय य
दांरहैया रहु सखीर पाछे ॥५ ॥

हे प्राणेश्वरी! श्रीमती राधारानी! इस बार मुझ पर करुणा कीजिए। मैं दाँतों में तृण पकड़कर, दोनों हाथ जोड़कर, आपसे यह निवेदन करता हूँ।

कृपया मुझे अपनी प्रिय सखियों के साथ अपने चरणकमलों की सेवा में नियुक्त कीजिए ताकि मैं आपको सुन्दर वस्त्राभूषणों से सजाऊँ। आप मुझे अपने श्रीचरणों का आश्रय प्रदान कीजिए।

मैं उन सखियों की दासी बनकर रहूँगी जो आपका, सुगंधित चन्दन, विभिन्न आभूषणों एवं सुंदर वस्त्रों से सदैव श्रृंगार करती हैं।

मैं रत्नजड़ित पात्र में सुगंधित जल लाऊँगी, कर्पूरयुक्त पान, मालती फूलों की माला एवं विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन, यह सब थाली में सजाऊँगी।

तब ललिता देवी के संकेत पर मैं यह सब उनको जाकर दूँगी। श्रील नरोत्तमदास ठाकुर कहते हैं कि, इसी प्रकार अपनी सखियों के साथ सेवा प्रदान कीजिए।

प्राणेश्वरी! एइ बार
सिद्ध-देहेन श्रीवृंदावनैश्वऱ्याम् साक्षाद्-विज्ञप्ति
(वृन्दावनात आध्यात्मिक शरीर प्राप्ति हेतु प्रार्थना)

प्राणेश्वरी ! एइ बार करुणा कर मोरे
दशनेते तृण धरि, अंजली मस्तके करि
एइ-जन निवेदन करे ॥१ ॥

प्रिय-सहचरी-संगे, सेवन करिब रंगे
अंगे वेश करिबेक साधे।
राख एड़ सेवा-काजे, निज पद-पङ्कजे
प्रिय-सहचरी-गण-माझे ॥२॥

सुगंधि चंदन, मणिमय आभरण
कौशिक बसन नाना रंगे।
एइ सब सेब्रा जाँर, दासी जेन हञ ताँर
अनुक्षण थाकि तांर संगे ॥ ३ ॥ 

जल सुबासित कारि, रतन शृंगारे भरि
कर्पूर-ब्रासित गुया पान ।
ए-सब साजाइय दाला, लवंग मालती-माला
भक्ष्य-द्रव्य नाना अनुपम ॥४ ॥

सखीर इंगित हबे, ए-सब आनिया कबे
जोगाइब ललितार काछे।
नरोत्तम दास कय, एड़ जेन मोर हय य
दांरहैया रहु सखीर पाछे ॥५ ॥

१. हे प्राणेश्वरी! माझ्यावर कृपा करा, दातांमध्ये तृण धरून, हात जोडून मी तुम्हाला प्रार्थना करीत आहे.

२. मी आनंदाने तुमच्या प्रिय सहचरींच्या संगतीने तुमची सेवा करीन आणि मन भरून तुमचा श्रृंगार करीन. कृपया इतर सखींबरोबर तुमच्या सेवेमध्ये मला मग्न करा आणि मला तुमच्या चरणांशीच ठेवा.

३. सुंदर लाल वस्त्रांनी तुमचा श्रृंगार करणाऱ्या, अनेक नानाविध अलंकारानी निरनिराळ्या अंगांना सजविणाऱ्या आणि त्यावर चंदनाचे लेपन करणाऱ्या सखींची दासी बनून मला प्रतिक्षण राहू द्या.

४. फुलदाणीत सुगंधपाणी घेऊन, कपुरसहित सुपारी, मालती फुलांच्या माळा तसेच अनेकविध सुंदर सुंदर पदार्थ तुमच्यासाठी थाळीमध्ये मी सजवून ठेवीन.

५. ललिता सखीच्या संकेतानुसार मी तिला हे सर्व अर्पण करीन. नरोत्तम दास प्रार्थना करीत आहेत की, ‘अशाच प्रकारे, सखींकडून मला तुमच्या सेवेची संधी मिळत राहू दे.’

 

Additional Info

Additional verse in some books

প্রিয় গিরিধর সঙ্গে, অনঙ্গ খেলন রঙ্গে,
অঙ্গ-বেশ করাইতে সাজে।
রাখ এই সেবা-কাজে, নিজ পদ-পঙ্কজে,
প্রিয়-সহচরীগণ-মাঝে।। 

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