Ha Ha Prabhu Lokanatha

Song Name: Ha Ha Prabhu Lokanatha
Official Name: Lalasa Song 5
Author: Narottama Dasa Thakura
Book Name: Prarthana
Language: Bengali

hā hā prabhu lokanātha rākha pada-dvandve;
kṛpā dṛṣṭe cāha yadi haiyā ānande (1)

mano-vāñchā siddhi tabe haṅa pūṛna tṛṣṇa;
hethāya caitanya mile sethā rādhā-kṛṣṇa (2)

tumi nā karile dayā ke karibe āra;
manera vāsanā pūrṇa kara ei bāra (3)

e tina saṁsāre mora āra keha nāi;
kṛpā kari nija pada-tale deha ṭhāñi (4)

rādhā-kṛṣṇa līlā-guṇa gāna rātri-dine;
narottama-vāñchā pūrṇa nahe tuyā bine (5)

O my lord Lokanātha Gosvāmī, please keep me at your lotus feet. Please mercifully glance upon me.

Only by your mercy, my desires of attaining the shelter of Lord Caitanya here, and attaining the shelter of Rādhā and Krsna spiritual world, will be fulfilled. in the

If you neglect me, then who else will bestow mercy upon me? Therefore I pray that you kindly fulfill my desires at this time.

Please give me shelter under your lotus feet for I have no one else but you in the three worlds.

Narottama dāsa wishes to glorify the pastimes and qualities of Rādhā and Krsna day and night. This is impossible without your mercy.

Not Available.

हा हा प्रभु लोकनाथ! राख पदद्वन्द्वे।
कृपा दृष्टे चाह यदि हइया आनन्दे ॥१॥

मनोवाञ्छा-सिद्धि तबे हय पूर्ण तृष्ण।
हेथाय चैतन्य मिले सेथा राधाकृष्ण ॥२॥

तुमि ना करिले दया के करिबे आर।
मनेर वासना पूर्ण कर एइ बार ॥३॥

ए तिन संसारे मोर आर केह नाइ।
कृपा करि निज पदतले देह ठाञि ॥४॥

राधा-कृष्ण लीलागुण गान रात्रिदिने।
नरोत्तम-वांच्छा पूर्ण नहे तुया बिने ॥५॥

हे लोकनाथ गोस्वामी प्रभु! कृपया मुझे आपने चरणों में रखिए, तथा प्रसन्न होकर मुझपर कृपादृष्टि डालिये।

केवल आपकी कृपा से, यहाँ श्रीचैतन्य महाप्रभु का चरण आश्रय एवं आध्यात्मिक जगत् में श्रीश्री राधा-कृष्ण का आश्रय इन दोनों इच्छाओं की पूर्ति होगी।

यदि आप मुझपर दया नही करेंगे, तो और कौन दया करेगा? अतः आप मेरे मन की इच्छा की पूर्ति कीजिए।

अपने चरणकमलों में मुझे आश्रय प्रदान करें क्योंकि इस त्रिभुवन में आपके अतिरिक्त मेरा कोई भी नहीं है।

श्रील नरोत्तमदास ठाकुर कहते हैं, “श्रीश्री राधा-कृष्ण के लीला-गुणों का गान करने की मेरी इच्छा आपकी कृपा के बिना पूर्ण नही हो सकती।”

हा हा प्रभु लोकनाथ! राख पदद्वन्द्वे।
कृपा दृष्टे चाह यदि हइया आनन्दे ॥१॥

मनोवाञ्छा-सिद्धि तबे हय पूर्ण तृष्ण।
हेथाय चैतन्य मिले सेथा राधाकृष्ण ॥२॥

तुमि ना करिले दया के करिबे आर।
मनेर वासना पूर्ण कर एइ बार ॥३॥

ए तिन संसारे मोर आर केह नाइ।
कृपा करि निज पदतले देह ठाञि ॥४॥

राधा-कृष्ण लीलागुण गान रात्रिदिने।
नरोत्तम-वांच्छा पूर्ण नहे तुया बिने ॥५॥

१. हे प्रभू, लोकनाथ गोस्वामी, कृपया मला आपल्या चरणकमळांपाशी ठेवा. कृपया तुमची कृपादृष्टी माझ्यावर असू द्या.

२. आपल्या कृपेमुळे श्रीचैतन्य महाप्रभूचा व आध्यात्मिक जगातील श्री श्री राधाकृष्णांचा आश्रय प्राप्त करण्याची माझी इच्छा पूर्ण होईल.

३. आपण जर मला दुर्लक्षित केले, तर कोण माझ्यावर दया करील? म्हणून, कृपया माझ्या या इच्छा पूर्ण करा.

४. आपल्या चरणकमळांशी मला आश्रय प्रदान करा कारण, या त्रिलोकामध्ये मला आपल्याशिवाय कोणीच आधार नाही.

५. श्री श्री राधाकृष्णांच्या लीलांचे दिन-रात्र गुणगान करण्याची या नरोत्तम दासाची इच्छा आपल्या कृपेशिवाय पूर्ण होणे अशक्य आहे.

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